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आंतरिक शांति की ओर पहला कदम : स्वीकृति



शांति अस्तित्व की अंतिम अवस्था है। एक ऐसी स्थिति जिसमें हमें होना चाहिए लेकिन जीवन की इस व्यवस्था में कहीं न कहीं हम यह भूल जाते हैं कि हमारी पहली प्राथमिकता हमारे मन की शांति होनी चाहिए।


आप कितनी बार खुद को यह कहते हुए सुनते हैं:

'मुझे नहीं पता क्यूँ पर सब कुछ होने के बावजूद भी मुझे शांति क्यों नहीं है'?


शांति से रहने के लिए सबसे पहले खुद पर काम करना शुरू करना होगा। आप दुनिया पर तभी शांतिपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं जब आप स्वयं भीतर से शांति में हों।


शांति से जीने की अपनी यात्रा की ओर पहला कदम स्वयं को स्वीकार करना है। खुद को स्वीकार करना सबसे कठिन और कम आंका जाने वाला काम है जो हमें खुद से करना है।


कुछ साल पहले, मैं सीढ़ियों से बुरी तरह गिर गयी थी । हालांकि उस समय कोई बड़ी चोट नहीं थी, लेकिन कुछ समय बाद मुझे एहसास हुआ कि मेरे पैर में दर्द है जो गिरने से होने वाले झटके के कारण पुराना हो गया है। हालत ऐसी हो गई कि एक वक्त ऐसा भी आया जब मैं पैर नहीं उठा पा रही थी। दर्द गंभीर था और इसके परिणामस्वरूप मानसिक आघात हुआ क्योंकि मेरा घूमना फिरना सीमित हो गया था। इसका नतीजा यह हुआ कि मैं हताशा के कारण जंक फूड खाने और व्यायाम न करने जैसी अस्वास्थ्यकर आदतों में पड़ गयी।


कम शब्दों में कहूँ तो - मेरा वजन 3 महीने में 12 किलो ज्यादा हो गया था। यह मनःस्थिति दो-चार वर्षों तक चलती रही। मेरा कॉन्फिडेंस लेवल काफी नीचे चला गया। मैं अपना वजन बढ़ने और दर्द को स्वीकार नहीं कर पा रही थी। मैं कुछ व्यायाम चालू किया, बंद किया - लेकिन अनुशासित नहीं आ रहा था क्योंकि मैंने अभी तक अपनी वास्तविकता को स्वीकार नहीं किया था।


फिर अंत में, अहसास ने मुझे ज़ोर का झटका दिया । मैंने फिरसे अपने पुराने वजन पर आने की ठान ली । लेकिन उससे पहले मुझे खुद को स्वीकार करने की जरूरत थी। मुझे पता चला कि क्या है और क्या करने की जरूरत है।

मैंने छोटे छोटे स्टेप्स लेना शुरू कर दिया जैसे 15 मिनट चलना, 10-15 मिनट योग करना। धीरे-धीरे मैंने एक अनुशासित दिनचर्या विकसित की। मेरे खाने की आदतों और अन्य आदतों को बदल दिया जो मुझे नीचे खींच रही थीं।


परिणाम : मैं 2 महीने से भी कम समय में 4 किलो वजन कम हो गया । मुझे अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है लेकिन अब कम से कम मैं अपने फिटनेस रूटीन को लेकर अनुशासित हूं।


तो यहाँ बात यह है कि मुझे परिणाम मिलने लगे जो अंततः मुझे आंतरिक शांति की ओर ले गए जब मैंने खुद को और अपने दर्द को स्वीकार करना शुरू किया। फिर मैंने अपनी कमियों पर काम किया, छोटे-छोटे कदम उठाए और फिर उसके चारों ओर एक केंद्रित दिनचर्या बनाई। जब मैंने खुद को स्वीकार किया, तो मैंने एक बार फिर से जीवन का आनंद लेना शुरू कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप मुझे आंतरिक शांति मिली।


तो पहले खुद को स्वीकार करो।


जिस तरह से आप देखते हैं, जिस तरह से आप बात करते हैं, जिस तरह से आप हंसते हैं, जिस तरह से रोते हैं, जिस तरह से खाते हैं, जिस तरह से चलते हैं, जिस तरह से सोचते हैं - उसे स्वीकार करें। बस अपने आप को पूरी तरह से स्वीकार करें और फिर अपने लक्ष्यों पर काम करना शुरू करें।


हो सकता है कि आप सभी काम एक साथ न कर पाएं। छोटी शुरुआत करें, एक बार में एक कदम उठाएं। अपनी कमियों को स्वीकार करें। उन्हें सुधारने की दिशा में काम करें लेकिन खामियों के कारण खुद को निराश न करें।


याद रखें, पूर्णता एक भ्रम है - हक़ीक़त नहीं है ।


स्वयं को स्वीकार करने के लिए हमारी निःशुल्क किट यहाँ है।

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